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लेखनी प्रतियोगिता -14-Apr-2022

दूसरों की कहानी में, ख़ुद के क़िस्से ढूँढ रहा हूं,
टूट चुका हूं मैं, अपने बिखरे हिस्से ढूँढ रहा हूँ।

गुस्सा तो आता है, अपने मुफलिस हालात पर,
पर उम्मीद है कि अभी मोहरे शेष हैं बिसात पर।

ग़म का यह घना अंधेरा एक दिन छट जाएगा।
है विश्वास खुद पर कि अपना भी वक्त आएगा।

कागज़ पर उतार  रखी है  अपने गमों की कहानी।
बीते लम्हों को यादकर उतर आता है आंखों में पानी।


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9 Comments

K.K.KAUSHAL (Advocate)

15-Apr-2022 10:52 AM

Nice

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Shrishti pandey

15-Apr-2022 09:28 AM

Very nice

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Abhinav ji

15-Apr-2022 08:43 AM

Nice👍

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